चिरायता एक औषधि


चिरायता के औषधीय गुण : -

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प्राप्तिस्थान:- यह नेपाल, कश्मीर एवं हिमालय की पहाड़ियों पर पाया जाता है 

पहचान :- इसका वृक्ष 3 फुट तक लम्बा होता है फूल आने के बाद सारे पौधों को निकालकर सुखा लिया जाता है इसकी डालियाँ कालापन लिए हुए पीले रंग की होती है इसके फूल पीले और तुर्रेदार होते हैं इसके फलियाँ लगती हैं जिनमें बहुत बीज रहते हैं इसका पंचांग अत्यंत कड़वा होता है 

गुण :- 

आयुर्वेद :-  चिरायता शीतल, दीपन, पाचन,कटु, पौष्टिक, ज्वरघ्न दाहनाशक, म्रिदुविचेरक, और पार्यायिक ज्वरों को दूर करने वाला होता है यह कृमिनाशक भी है तथा प्यास कफ पित्त कुष्ठ व्रण दमा श्वेतप्रदर खांसी सूजन बवासीर और अरुचि को दूर करने वाला होता है गर्भावस्था की मतली में यह बहुत लाभ पहुंचाता है इससे आमाशय की रस क्रिया भी शुद्ध होती है और अब भली प्रकार पचता है 

यूनानी:-  यह दुसरे दर्जे के आखिर में गरम और खुश्क है यह खून को साफ़ करता है दिल और जिगर को ताकत देता है पेशाब अधिक लाता है जलोधर सीने का दर्द, गुर्दे का दर्द गर्भाशय का दर्द ग्रधसी वात और खांसी में लाभदायक है सर्दी की वजह से पैदा हुई जिगर और मेदे की सूजन को यह मिटाता है बिगड़े हुए बुखार को लाभ पहुंचाता है चरमरोग सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे खुश्क और तर खुजली कुष्ठ चमड़ी के नीचे खून का जम जाने से पड़े हुए दाग इसके लेप से हट जाते हैं अजमोद के साथ इसको देने से पागलपन में लाभ होता है इसको पीसकर आँखों में लगाने से आँख की ज्योति बढती है बूँद बूँद पेशाब आने की बीमारी भी इसके सेवन से मिट जाती है इसके सेवन से हाजमा दुरुस्त होकर भूख बढ़ जाती है 

उपयोग : 

  • जीर्ण विषम ज्वर के अंदर जब कि विषम ज्वर का विष शरीर के अंदर गुप्त से रहता है और अपना स्वरुप ज्वर के रूप में प्रकट ना करके अजीर्ण अग्निमांध और हल्की हरकत के रूप में प्रकट करता है ऐसी स्थिति में इन लक्षणों को नष्ट करने के लिए चिरायता बहोत उपयोगी होता है
  • चिरायते का ज्वरघ्न धर्म अत्यंत मृदुस्वभावी होता है इसलिए ज्वर की चिकित्सा में केवल इसी वस्तु के ऊपर विश्वास नहीं रखा जा सकता प्रयायिक ज्वरों को रोकने के की शक्ति भी इसमें बहुत कम है श्वांस नलिका की सूजन और उसके संकोच विकास की वजह से पैदा हुए दमें में चिरायता लाभदायक है आमाशय की शिथिलता में यह एक उत्तम औषधि है इससे जीभ साफ़ होती है और दस्त भी साफ़ होता है 
  • यह एक सुप्रसिद्द कटु औषधि मानी जाती है यह बिल्कुल कड़वा और गंधरहित होता है कटु पौष्टिक होते हुए भी यह इस जाति की अन्य औषधियों की तरह आतों में संकोचन पैदा नहीं करता बल्कि दस्त में नियमितता ला देता है यह पित्त को उत्तेजित कर देता है और पित्तस्त्राव की क्रिया को व्यवस्थित करता है इसलिए गठिया से पीड़ित मनुष्यों को इसे पौष्टिक पदार्थ के रूप में में देने से अच्छा लाभ होता है 
  • यह पौष्टिक ज्वरनाशक और विचेरक है ज्वर शरीर की जलन आंतो के कृमि और चर्मरोगों पर यह अच्छा लाभ पहुंचाता है ज्वर के अंदर यह ज्वरनिवारक पदार्थ के रूप में कम मगर पौष्टिक पौष्टिक वस्तु के रूप में अधिक उपयोगी है 
  • चिरायता सभी प्रकार के अग्निवर्धक पौष्टिक ज्वरघ्न और अतिसार नाशक गुण मौजूद रहते हैं यही गुण जेंशन करू में भी बतलाये गए हैं लेकिन यूरोप से जो जेंक्सन यहाँ आता है उसकी उपेक्षा चिरायता में भी गुण अधिक मात्रा में पाए जाते हैं 
  • पश्चिमी भारत में वायु नलियों के प्रदाह की वजह से पैदा हई दमे की बीमारी में इसका सफलता के साथ उपयोग किया जाता है 
  • महर्षि चरक के मतानुसार यह मुहँ से होने वाले रक्स्त्राव में तथा जलोधर में लाभदायक है 
  • हारीत के मतानुसार चिरायते को पीसकर शहद के मतानुसार चिरायते को पीसकर शहद के साथ मिलाकर गर्भावस्था में होने वाली उल्टियों में देने से लाभ होता है 
  • दत्त के मतानुसार चिरायता, नीम गिलोय, त्रिफला, और आम्बी हल्दी का काढ़ा बनाकर देने से पित्तज्वर आँतों के कृमि, शरीर की जलन और चरम रोगों में लाभ होता है 

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