अखरोट के औषधिय गुण :-
अखरोट
:- हिंदी-अखरोट,संस्कृत-अक्षोट,स्नेह्फल,रेखाफल ,
वृतफल
, गुजराती-अखोड़, मराठी-अकोद्र,बंगाली-अक्रोट,तेलगु-अक्षोल्मु
, अरबी-जो जे हिंदी,फारसी-गिर्द्का,
प्राप्तिस्थान:-
यह हिमालय की तराई से लेकर काबूल तक पहाड़ी क्षेत्रों के वन में पाया जाता है इसका
पेड़ 50 से 100 फीट तक ऊंचा होता है इसके पत्ते तीन कगूरेवाले होते बड़े चार से आठ
इंच लम्बे चौड़ाई में आधे अंडाकार होते हैं अखरोट का फल गोल होता है इसमें दबी
धारियाँ होती हैं और अंदर सफ़ेद गिरी निकलती है
गुण
:-
आयुर्वेद:-
मधुर, हल्का, खट्टा,स्निग्ध,शीतल,बलवीर्यवर्धक,गरम, रूचिदायक,कफपित्तकारक
, वात्त-पित्त नाशक,क्षयनाशक एवम ह्रदयरोग, वातरोग,
रुधिर
विकार,दाह आदि को दूर करने वाला
यूनानी:-
पहला दर्जा गर्म, दूसरा दर्जा रुक्ष, मृदु, जोजकारक
अजीर्णनाशक, मस्तिष्क, हृदय,यकृत आदि को बल देने वाला, भींगने से हुई सर्दी में लाभदायक (प्रतिनिधि- चिरौंजी एवं चिलगोंजा)
उपयोग
:-
- मुंह के लकवे में इसके तेल से मालिश करने में लाभ होता है
- पत्तों के क्वाथ (काढ़े) से गण्डमाला का रोग मिट जाता है
- मुहँ में चबाकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है
- शरीर में सूजन होने पर इसके चार तोले तेल को गोमूत्र में डालकर पीने से सूजन समाप्त हो जाती है
- अफीम और भिलावे का विष इसका तेल गोमूत्र के साथ थोड़ी थोड़ी देर पर पिलाने से उतर जाता है
- छाल के काढ़े से आंतो के कीड़ों का नाश होता है
- इसका तेल मृदुविचेरक होता है
विशेष:-
- यह गर्म, प्रकृतिवालों के लिए क्षतिकारक है इसका हानि प्रभाव अनार के रस से समाप्त हो जाता है
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