अनार के औषधिय गुण (अनार है अमृत)

पहचान : यह भारतवर्ष में हर जगह पाया जाता है, यह एक जाना माना पौधा है


APNA DESI UPCHAR
गुण :
आयुर्वेद - अनार तीन प्रकार का होता है एक मीठा, दूसरा खट्टामीठा ,तीसरा केवल खट्टा , अनार त्रिदोषनाशक , तृषा दाह, ज्वर, ह्रदय-रोग, कंठरोग, और मुखरोग को दूर करनेवाला , तृप्तिकारक, वीर्यवर्धक, हल्का, किंचित , कसेला, मलरोधक , स्निग्ध ,मेधाजनक, और बलवर्धक, होता है , खट्टा मीठा , अनार दीपन, रुचिकारक , किंचित, पित्तकारक , और हल्का होता है , खट्टा अनार - पित्तकारक  खट्टा तथा वात और कफ नाशक होता है 

इसकी छाल जड़ वायु नलियों के प्रदाह में उपयोगी तथा अतिसार को रोकने वाली और कृमिनाशक होती है इसके फूल नाक से बहने वाले खून में लाभदायक होते हैं इसका कच्चा फल पौष्टिक पाचक पित्तकारक और वमन अर्थात उलटी को रोकने वाला होता है इसका पका हुआ फल पौष्टिक आंतो को सिकोड़ने वाला कामोद्दीपक पित्तनाशक और त्रिदोष को नाश करने वाला होता है प्यास शरीर की जलन बुखार ह्रदय रोग गले की बीमारियों और मुख की सूजन में भी इसका पका फल उपयोगी होता है इसके फल का छिलका कृमि नाशक रक्ताविकार और खांसी में लाभदायक होता है
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यूनानी  मीठा अनार पहले दर्जे में सर्द और तर है खट्टा अनार दुसरे दर्जे में सर्द और रुक्ष है खट्टामीठा अनार पहले दर्जे में सर्द और तर है अनार के बीज पहले दर्जे में सर्द और तर है 




उपयोग

  1. मीठा अनार खून पैदा करने वाला, रसक्रिया को दुरुस्त करने वाला मूत्रनिस्सारक पेट को मुलायम करने वाला यकृत को शांति देने वाला, कामोद्दीपक तथा कामेन्द्रियों को बल प्रदान करने वाला होता है 
  2. खट्टा अनार छाती की जलन तथा आमाशय और यकृत की गर्मी को शांत करने वाला तथा खून को प्रकोप ज्वरजन्य अतिसार और वमन में लाभदायक होता है 
  3. खट्टा मीठा अनार पैत्तिक वमन अतिसार और खुजली में लाभ पहुँचाने वाला , आमाशय को बल प्रदान करने वाला तथा हिचकी को नष्ट करने वाला है
  4. अन्य अनार मूर्छा में लाभ पंहुचाने वाले, ह्रदय को बल देने वाले और खांसी को नष्ट करने वाले होते हैं बेदाना अनार सभी अनारों में उत्तम होता है 
  5. सूखा रोग प्राय: बच्चों को होता है इस रोग के होने पर बच्चा दिन व दिन सूखता चला जाता है उसका पेट कठिन हो जाता है इस रोग में अनार की जड़ की छाल का क्वाथ (काढ़ा)बनाकर देने से बहुत लाभ होता है यह काढ़ा कमजोरी , यकृत की वृद्धि , जीर्ण ज्वर इत्यादि रोगों में भी लाभ पंहुचाता है 
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  6. अनार का रस 6-7 तोले और जरिश्क 6 माशे मिलाकर दोनों समय पिलाने से कामला रोगी को लाभ होता है 
  7. अनार के फल के छिलके को मुहं में रखकर उसका रस चूसने से खांसी में लाभ होता है
  8. कुटुज और अनार के वृक्ष की छाल - इन दोनों का काढ़ा बनाकर शहद के साथ देने से दुर्दमनीय अतिसार तथा रक्तातिसार में फ़ौरन लाभ पहुंचता है 
  9. अनार के वृक्ष की छाल के काढ़े में सौंठ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से बवासीर से बहने वाला खून बंद हो जाता है 
  10. अनार के पत्ते 1 तोला गुलाब के ताजे फूल 1 तोला दोनों को आधा सेर (आधा लीटर) पानी में औटाकर (उबालकर) आधा पाव शेष रहने पर उसको छानकर 1 तोला गरम गरम गाय का घी मिलाकर सुबह शाम पिलाने से हिस्टीरिया और उन्माद में लाभ होता है
  11. अनार की जड़ की छाल 5 रूपए भर लेकर एक सेर पानी में उबालने के बाद जब आधा सेर पानी शेष रह जाये तब उसमें 3 माशे फिटकरी डालकर उस पानी की पिचकारी लेने से स्त्रीयों के स्वेतप्रदर गर्भाशय के वर्ण इत्यादि रोगों में लाभ पंहुचता है 
  12. अनार के पत्तों का रस 1 सेर, सत्यानाशी का रस 1 सेर, गौमूत्र 1 सेर मिलाकर आग पर चढ़ाना चाहिय जब सभी जलकर तेल मात्र शेष रह जाये तब उतारकर ठंडा कर लें इस तेल के लगाने से कंठमाला भगंदर कोढ़ के जख्म, दाद , चेहरे के काले धब्बे,कील, झाँई इत्यादि रोग दूर हो जातें हैं इसको दिन में तीन बार लगाने से हाथी पांव (श्लीपद में भी लाभ पहुंचता है 
  13. अनार के पत्तों को पानी में पीसकर दिन में दो बार मालिश करने से गंज दूर होती है 
  14. अनार के पत्तों का रस 1 सेर, बिल्व पत्रों का रस 1 सेर, गाय का घी 1 सेर तीनों वस्तुओं को मिलाकर हलकी आंच पर सेकना चाहिए इसमें से दो तोला घी पावभर गाय के दूध के साथ मिश्री मिलाकर पीने से बहरापन दूर हो जाता है 
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