अजवायन के औषधीय गुण Benefits of Parsley in hindi

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हिन्दी-अजायन; संस्कृत-यवानी; बंगाली-यमानी

प्राप्तिस्थान –इसके पौधे सारे भारतवर्ष में पाए जाते हैं

पहचान- भारतवर्ष के लगभग सभी प्रान्तों में इसकी खेती की जाती है इसका क्षुप (पौधा) एक से तीन फुट तक ऊँचा होता है इसके पत्ते धनिया के पत्ते के समान, कांटेदार, अनेक भागो में में विभक्त तथा डालियों पर दूर-दूर होते है फूल बहुत श्वेत वर्ण के छात्राकर होते है फल बहुत छोटे, दबे हुए गोलाभ, धारिया होती है तथा इसमें विशेष गंध होती है |

गुण:

आयुर्वेद- अजवायन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चरपरी, हल्की, दीपन, कडवी तथा शूल, बात, कफ, आध्मान, बवासीर, कृमि, वमन, गुल्म और प्लीहा का नाश करने वाली है |

यूनानी- यह गर्म और रुक्ष तथा गर्म प्रक्रति वालो को हानिकारक है अजवायन शरीर की देवना को
मिटाने वाला, कामोद्दीपक, कोठे को नर्म करने वाला ओर वायु को नष्ट करने वाला है इसका शर्बत लकवा और कम्पन वायु में लाभ पहुचाने वाला है इसके कादे से आँख साफ है तथा कानो में डालने से बहरापन मिटता है छाती के दर्द में भी यह लाभकारी है तथा प्लीहा की कठोरता को मिटाकर यह यह हिचकी, बमन, मिचलाहत, दुर्गन्धि, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना, पथरी इत्यादि बीमारियों में भी लाभ पहूँचाता है |

उपयोग :

  1. अजवायन को गर्म कर के मलमल के कपड़े में पोटली बांधकर सुंघाने से छींकें आकर जुकाम व प्रतिश्याय का वेग कम होता है कपड़छन चूर्ण को सूंघने से भी सिरदर्द, नजला और मस्तिष्क के कृमि नष्ट हो जाते है
  2. छ: माह से अजवायन में एक मास काला नमक मिलाकर फंकी देकर गरम पानी में पिलाने से आफरा मिटता है, इसी चूर्ण की दोनों समय तीन-तीन माशे की फंकी देने से वायुगोला का नाश होता है और पेट का फूलना बंद हो जाता है
  3. अजवायन, काली मिर्च, सेंधा, नमक- इस तीनों को पीसकर गरम जल के साथ फंकी देने से उदरसूल, पेट का दर्द और मंदाग्नि  मिटती है
  4. अजवायन, सेंधा नमक, सोंन्चर नमक, यवक्षार और हरड- इन सब को समान भाग लेकर चूर्ण करके पांच से दस रत्ती तक की मात्रा में मध्य के साथ देने से अंतड़ियो की वेदना और उदरशूल दूर होती है
  5. अजवायन को पान में रखकर चबा-चबा कर पिक उतारने से सुखी खांसी में लाभ होता है |
  6. इसके तेल का मर्दन करने से जोड़ो के दर्द में लाभ होता है |
  7. बच्चो की उल्टी और दस्त मिटाने के लिये इसको माँ के दूध के साथ देने से लाभ होता है |
  8. अजवायन को पानी में गाड़ा पीसकर दिन में दो-चार लेप करने से दाद ,खाज ,क्रमी पड़े हुए घाव तथा आग से जलते हुये स्थान में लाभ होता है |
  9. अजवायन के चूर्ण को तीन माशे की मात्रा में दिन में दो बार गर्म दूध में देने से स्त्रियों का रुका हुआ रर्ज खुल कर आने लगता है
  10. इसके चूर्ण की चार मासे की मात्रा में छाल के साथ देने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते है |
  11. अजवायन को जलाकर उसका कपड़छन चूर्ण करके जस्ते की सलाई से सुर्मे की तरह सात दिन तक आँखों में आंजने से आँखों की फूली कट जाती है इसी चूर्ण को दातों पर मलने से दांत साफ होते है तथा दांत और मसूडो के रोग भी मिट जाते है |
  12. बडिया अजवायन  छ; तोला, सेंधानमक चार तोला, काली मिर्च चार तोला, कालानमक चार तोला, सच्चर नमक चार तोला, तेपिन (अरण्ड ककड़ी का सत्व) एक तोला– इन सब औषधियो को कूट-पीसकर एक चीनी की बर्नी में डालकर इसमें एक सेर निम्बू का रस मिलाकर एक महीने तक दिन में सूर्य की धुप में और रात्रि में कमान के अन्दर पड़ा रहने देना चाहिये इस चूर्ण को तीन मासे से छ: मासे तक की खुराक में जल के साथ लेने से पाचन शक्ति तीव्र होती है कब्जियत मिटकर दस्त साफ होता है तथा अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहनी इत्यादि रोगों में भी फायदा होता है |

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