हिंदी- कलौंजी, संस्कृत-स्थूलजीरक, जीर्णा, काली बहुगंधा इत्यादि, मराठी-कलौंजी, गुजराती- कलौंजी, जौंरू; बंगाली- कालीजीर मोटी काली जीर; फारसी-स्याह्दाना, अरबी-हब्तुस्सोदा
प्राप्तिस्थान- यह
भारतवर्ष में खेतों एवं वनों में उत्पन्न होती है इसकी खेती भी की जाती है
पहचान:-
यह एक छोटे प्रकार की वनस्पति है इसकी शक्ल सौंफ के पेड़ की शक्ल से मिलती जुलती
होती
हैं शाखाएँ एक फुट से कुछ बड़ी होती है इसके फूल हलके नीले रंग के होते हैं इसके बीज तिकोने होते हैं इसके बीजों का रंग स्याह, खुशबू तेज और गुदा सफ़ेद होता है इसकी ताकत सात साल तक कायम रहती है
हैं शाखाएँ एक फुट से कुछ बड़ी होती है इसके फूल हलके नीले रंग के होते हैं इसके बीज तिकोने होते हैं इसके बीजों का रंग स्याह, खुशबू तेज और गुदा सफ़ेद होता है इसकी ताकत सात साल तक कायम रहती है
गुण:-
आयुर्वेद:- यह
कडवी चरपरी गरम क्षुधावर्धक कामोद्दीपक ऋतुस्त्राव नियामक पेट के आफरे को दूर करने
वाली, कृमिनाशक, तथा वात गुल्म रक्तपित्त कफ, पित्त,आंव दोष और शूल को नष्ट करती है सुश्रुत के मतानुसार इसके बीज दूसरी औषधियों के साथ सांप और बिच्छू के विष में दिए जाते हैं
वाली, कृमिनाशक, तथा वात गुल्म रक्तपित्त कफ, पित्त,आंव दोष और शूल को नष्ट करती है सुश्रुत के मतानुसार इसके बीज दूसरी औषधियों के साथ सांप और बिच्छू के विष में दिए जाते हैं
यूनानी:- यह दुसरे दर्जे में गरम और खुश्क है किसी किसी मत से यह दुसरे दर्जे में गरम एवं तीसरे दर्जे में खुश्क है यह मूत्रल ऋतूस्त्राव नियामक और गर्भस्त्रावक है फेफड़ों की शिकायत में भी यह लाभदायक है कफ और पीलिया में इसका आंतरिक और बाहरी प्रयोग करने से लाभ पहुँचता है
उपयोग:-
- कलौंजी को पीसकर छाछ में मिलाकर जोश देकर नारू पर मल कर लगाने से तीन दिन में तमाम नारू निकल जाता है अगर नारू टूट गया हो तो कलौंजी के पत्ते बीज डालियाँ पीसकर बांधने देने से आराम होता है
- कलौंजी को पानी में पीसकर शहद मिलाकर पीने से मसाने और गुर्दे की पथरी निकल जाती है
- कलौंजी को जलाकर उसकी राख पानी के साथ पीने से और सूखी राख को मस्सों पर मलने से बवासीर में लाभ होता है
- इसको उबाल कर पीने से गर्भवती के गर्भ की तकलीफें दूर होती हैं
- सात दाने कलौंजी को औरत की दूध में पीसकर नाक में टपकाने से पीलिया या कामले में लाभ होता है
- कलौंजी को जलाकर तेल में मिलाकर गंजे सिर पर मालिश करने से कुछ समय में नए बाल आने लगते हैं
- इसके बीजों को गरम करके मलमल के कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम मिटता है
- चर्म रोग के लिए:- कलौंजी 5 तोले,बावची के बीज-5 तोले, गूगल- 5 तोले, दारू हल्दी की जड़ 5 तोले, गंधक- 21 तोले नारियल का तेल-2 बोतल, इन सब को कूटकर बोतल में डालकर काग लगाकर 7 दिन तक धुप में रहने दें और दिन में 2 से 3 बार खूब हिला दिया करें ताकि यह अच्छी तरह मिश्रण बन जाये इस तेल की मालिश करने से कुष्ठ आदि चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं
- कलौंजी में दो प्रकार का तेल निकलता है एक पीले रंग का जो उडनशील तथा दूसरा सफ़ेद रंग का जो अरंडी के तेल के जैसा होता है इसकी मालिश करने से सभी प्रकार की पुरुषार्थ कमजोरियाँ दूर हो जाती हैं
- इसके 3 माशे चूर्ण को तीन माशे मक्खन में मिलाकर चटाने से हिचकी बंद हो जाती है
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