हिंदी-छोटी इलायची; संस्कृत-तीक्ष्णगंधा, सुक्ष्मला, द्राविड़ी, मृगपर्णिका, छर्दीकारीपु, गोरांगी,चंद्रबाला; बंगाली- छोट एलाच, गुजराती- इलायची’ एलची, मराठी– वेलची; कागदी; तेलगु- एलाकु; फारसी- हेल, हाल; अरबी- काकिले, सिगारा,
प्राप्तिस्थान एवं पहचान- यह हमेशा हरा रहने वाला पौधा होता है | यह अदरख से मिलता जुलता होता है | इसकी ऊँचाई चार से आठ फीट तक होती है इसका पेड़ दस से बारह वर्ष तक रहता है यह सामुद्रिक तर हवा में और छायादार में पाया जाता है इसके फल गुच्छों में लगते हैं | छोटी इलायची चार प्रकार की होती हैं एक को मालाबारी, दूसरी को मसूरी,तीसरी को बैंगलोरी और चौथी को जंगली इलायची कहते हैं |
यूनानी- इसका फल सुगन्धित, ह्रदय को बल देने वाला, अग्निवर्धक, विरेचक, मूत्र निस्सारक, और पेट के आफरे को दूर करने वाला होता है | इसके बीज से दर्द, कर्ण वेदना, दांत की पीड़ा यकृत और गले के रोगों में भी लाभकारी है| यह पाचक आमाशय तथा ह्रदय को शक्ति देने वाली, अरुचि और उबाक को बंद करने वाली तथा अपस्मार, मूर्छा और वायुजन्य (गैस) सिर दर्द में लाभकारी होती है | इसके भुने हुए बीज संग्राही तथा गुर्दे और वस्ति की पथरी की निकालने वाली होती है इसका तेल रतौंधी के लिए रामबाण औषधि होती है | आँख में इसका तेल लगाने से पुराने से पुरानी रतौंधी नष्ट हो जाती है | इसको कान में डालने से कर्णशूल नष्ट होता है | छोटी इलायची को मस्तगी और अनार के स्वरस के साथ देने से वमन और मिचलाहट का नाश होता है यह पाचन शक्ति को बहुत सहायता पहुंचाती है तथा आमाशय के विकार को नष्ट करती है
प्राप्तिस्थान एवं पहचान- यह हमेशा हरा रहने वाला पौधा होता है | यह अदरख से मिलता जुलता होता है | इसकी ऊँचाई चार से आठ फीट तक होती है इसका पेड़ दस से बारह वर्ष तक रहता है यह सामुद्रिक तर हवा में और छायादार में पाया जाता है इसके फल गुच्छों में लगते हैं | छोटी इलायची चार प्रकार की होती हैं एक को मालाबारी, दूसरी को मसूरी,तीसरी को बैंगलोरी और चौथी को जंगली इलायची कहते हैं |
गुण:-
आयुर्वेद- छोटी इलायची के बीज शीतल, तीक्ष्ण,कड़वे और सुगन्धित होते हैं ये पित्तजनक, मुख और मस्तक को शुद्ध करने वाले और गर्भ घातक होते हैं | यह बात श्वांस, खांसी,बवासीर, क्षयरोग, विषविकार, वस्तिरोग, गले के रोग, सूजक (सूजन) पथरी और खुजली का नाश करने वाले होते हैं | इलायची मूत्र कृछनाशक , ह्रदय रोग नाशक, अस्मारी नाशक तथा श्वांस, खांसी, क्षय और बवासीर नाशक है |यूनानी- इसका फल सुगन्धित, ह्रदय को बल देने वाला, अग्निवर्धक, विरेचक, मूत्र निस्सारक, और पेट के आफरे को दूर करने वाला होता है | इसके बीज से दर्द, कर्ण वेदना, दांत की पीड़ा यकृत और गले के रोगों में भी लाभकारी है| यह पाचक आमाशय तथा ह्रदय को शक्ति देने वाली, अरुचि और उबाक को बंद करने वाली तथा अपस्मार, मूर्छा और वायुजन्य (गैस) सिर दर्द में लाभकारी होती है | इसके भुने हुए बीज संग्राही तथा गुर्दे और वस्ति की पथरी की निकालने वाली होती है इसका तेल रतौंधी के लिए रामबाण औषधि होती है | आँख में इसका तेल लगाने से पुराने से पुरानी रतौंधी नष्ट हो जाती है | इसको कान में डालने से कर्णशूल नष्ट होता है | छोटी इलायची को मस्तगी और अनार के स्वरस के साथ देने से वमन और मिचलाहट का नाश होता है यह पाचन शक्ति को बहुत सहायता पहुंचाती है तथा आमाशय के विकार को नष्ट करती है
उपयोग:-
- इलायची के बीजों को महीन पीसकर सूंघने से छीकें आकर मस्तक पीड़ा मिटती है |
- इलायची के दाने खाने से केले का अजीर्ण मिटता है | पढ़ें तुलसी के फायदे
- इलायची को सेंककर मस्तगी के साथ दूध में फंकी लेने से मूत्राशय की जलन मिटती है |
- इलायची के दाने और पीपला मूल के चूर्ण को घी के साथ चटाने से कफ जनित ह्रदय रोग मिटता है |
- इलायची के दो तोला छिलकों को आधा सेर पानी में औंटाकर पाव भर पानी रहने पर छानकर पीने से विशुचिका में लाभ होता है | जानें अदरख के अद्भुत फायदे
- खीरे के बीज के साथ इलायची को देने से गुर्दे और वस्ति की पथरी में लाभ होता है |
- इलायची के अर्क को डेढ़ दो मासे की खुराक में सात आठ बार पिलाने से नकसीर बंद होता है | पढ़ें अजवायन से जुड़ी ख़ास बातें और पढ़ें करेला लाभकारी फायदे
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