हिंदी- अदरख, आदि; संस्क्रत- आद्रत, आद्रिका, गुजरती- आदू; मराठी-आलेग; बंगाली- आदा; पंजाबी-अदरख; तेलगु-अल्लम; द्रविड़- इमिशोठ; फारसी- जंजबिल रतब |
प्राप्तिस्थान- हिन्दुस्तान में हर जगह पाया जाता है तथा इसकी खेती होती है |
पहचान – इसका झाड़ प्रायः एक हाथ ऊँचा होता है
इसके पत्ते बांस के पत्ते जैसे होते है इसकी जड में एक प्रकार का कंद होता है जिसे अदरख कहते है यह दो प्रकार का होता है एक चुन्सेदार तथा दूसरा बिना चुन्सेदार यह चैत्र बसाख में बोया जाता है
यूनानी– अदरख तीसरे दर्जे में गर्म, पहले दर्जे में रुक्ष, पाचक, आध्मान एंव वायु का नाश करनेवाला होता है यह शुधावर्धक, पक्वाशय की स्निग्धता व कफ को नाश करने वाला तथा पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला भी होता है यह सही प्रक्रति वालो के लिए गुणकारी तथा उष्ण प्रक्रति वालो के लिए हानिकारक होता है इसकी जड़े चरपरी, अग्निवर्धक, कमोद्यिप्क, पोष्टिक, व पेट के आफरे को को दूर करने वाला होता है यह नेत्र की ज्योति को बढ़ाने वाला, मस्तक के कर्मियों को नष्ट करने वाला, गठिया, सिरदर्द तथा दूसरी तकलीफों में फायदा पहुँचाने वाला होता है
गुण :
आयुर्वेद – यह भरी, तीक्ष्ण, उष्ण, दीपन, चरपरा, पाक में मधुर, रुक्ष तथा वात व कफनाशक होता है लवण मिश्रित अदरख अग्नि हो दीपन करने वाला रूचि को उत्पन्न करनेवाला , प्रिय, सारक तथा सुजन, वात व कफ नाशक होता है अदरख कुष्ठ पान्दुरोग, मुत्र्कच्य, रक्त-पित, वरंरोग, ज्वर, दाह, ग्रीष्मऋतू तथा शरदऋतू में अपथ्य है ऐसा भावमिश्र का कथन हैयूनानी– अदरख तीसरे दर्जे में गर्म, पहले दर्जे में रुक्ष, पाचक, आध्मान एंव वायु का नाश करनेवाला होता है यह शुधावर्धक, पक्वाशय की स्निग्धता व कफ को नाश करने वाला तथा पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला भी होता है यह सही प्रक्रति वालो के लिए गुणकारी तथा उष्ण प्रक्रति वालो के लिए हानिकारक होता है इसकी जड़े चरपरी, अग्निवर्धक, कमोद्यिप्क, पोष्टिक, व पेट के आफरे को को दूर करने वाला होता है यह नेत्र की ज्योति को बढ़ाने वाला, मस्तक के कर्मियों को नष्ट करने वाला, गठिया, सिरदर्द तथा दूसरी तकलीफों में फायदा पहुँचाने वाला होता है
उपयोग:-
- पांच तोले ताजे अदरख का रस निकालकर बराबर मिश्री मिलाकर प्रातः काल जलोधर के रोगियों को देना चाहिए प्रतिदिन ढाई तोला बढ़ाते हुए बराबर मिश्री लेकर पच्चीस तोले तक बढ़ाना चाहिए फिर ढाई तोला के हिसाब से घटाना चाहिए
- एक तोले अदरख के रस को एक तोला प्याज के रस के साथ देने से उल्टी तथा जी की मिचलाहट बंद होती है जानें तुलसी के फायदे
- अदरख का रस एक तोला, ऑक की जड़ एक तोला, इन दोनों को यहाँ तक खरल करें की गोली बनाने योग्य हो जाएँ, फिर इसकी काली मिर्च के बराबर गोली बना लेवें | इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ देने से हैजे में लाभ होता है इसी प्रकार अदरख का रस व तुलसी का रस सामान भाग लेकर उसमें थोड़ी सी शहद मिलाकर लेने से भी हैजे में लाभ पहुँचता है चिरायता एक औषधि
- अदरख के रस में शहद मिलाकर चटाने से श्वांस,खांसी, जुकाम व कफ मिटती है
- अदरख के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द मिटता है
- अदरख के एक सेर रस में तिल्ली का आधा सेर तेल डालकर आग पर चढ़ा देवें जब रस जलकर तेल मात्र शेष रह जाये तब उतारकर छान लेना चाहिए इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की वात पीड़ा मिटती है | जानें अजवायन से जुडी महत्वपूर्ण बातें
- अदरख,त्रिफला और गुड़ तीनों को मिलाकर पीने से कामला मिटता है |
- अदरख में नींबू का रस मिलाकर पिलाने से मन्दाग्नि दूर होती है | अंगूर खाने के विशेष लाभ यहाँ पढ़ें
- सर्दी में दंत पीड़ा में इसके टुकड़े को दांतों के बीच में दबाने से लाभ होता है |
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